चूरू जिला मुख्यालय पर एक बार फिर ममता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां बेदर्द परिजनों ने जन्म के महज 2 घंटे बाद ही नवजात बालिका को गला घोंटकर मारने की कोशिश की. बाद में उसे प्लास्टिक की थैली में बंद कर फेंक गए.
चूरू. जिला मुख्यालय पर एक बार फिर ममता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां बेदर्द परिजनों ने जन्म के महज 2 घंटे बाद ही नवजात बालिका को गला घोंटकर मारने की कोशिश की. बाद में उसे प्लास्टिक की थैली में बंद कर फेंक गए. लेकिन ईश्वर को शायद कुछ और मंजूर था और मासूम बच गई. थैली में बंद बच्ची के रोने की आवाज सुनकर लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया. बच्ची की हालत अब ठीक बताई जा रही है. वह भरतीया अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में भर्ती है.
रविवार को सुबह फेंक गए
जानकारी के अनुसार घटना रविवार को सुबह हुई. करीब 7:30 बजे चूरू मुख्यालय पर स्थित राजकीय भरतिया अस्पताल के गेट के सामने ऑटो में एक व्यक्ति आया. उसने नवजात को प्लास्टिक थैली में लपेटी हुई नवजात को वहां डाला और चला गया. पहले तो लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन कुछ देर बाद नवजात के रोने की आवाज सुनकर लोगों का ध्यान उस तरफ गया. वहां जाकर देखा तो प्लास्टिक थैली में मासूम बच्ची मिली. इस पर उन्होंने उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन को सूचना दी. नवजात के पास कपड़े का एक थैली मिली जिसमें शॉल और चुनड़ी है
बाद में नवजात को तुरंत वहां से उठाकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाया गया और फिर एफबीएनसी वार्ड में भर्ती कराया गया. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और बाल कल्याण समिति को सूचित किया. सूचना मिलने पर चाइल्ड लाइन के कर्मचारी अस्पताल पहुंचे और नवजात की देखरेख में जुट गए. चिकित्सकों के अनुसार नवजात अब स्वस्थ है और उसका वजन करीबन 3 किलो है.
गले और छाती पर नाखूनों के निशान मिले
बच्ची का जन्म अस्पताल में नहीं होकर घर पर ही हुआ है. क्योंकि उसकी नाल में सरकारी टैग की बजाय धागा बंधा हुआ है. नवजात के गले और छाती पर नाखूनों के निशान मिले हैं. इससे जाहिर हो रहा है कि पहले उसे गला घोंटकर मारने की कोशिश की गई है. बाद में संभवतया मरा हुआ समझकर ही परिजन थैली में डालकर फेंक गए.