33 साल बाद रामायण का प्रसारण होगा दूरदर्शन पर शुरू
ताकि, युवा जान सकें देश की संस्कृति,सभ्यता और विरासत
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कल से दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर रामानंद सागर की रामायण 33 साल बाद फिर देखिए। अपने बच्चों को जरूर दिखाइए। उन्हें पता लगेगा, भारत की संस्कृति क्या थी और कहां पहुंच गई।
हमारी पीढी को पता है,1987 में जब ये सीरियल प्रसारित होता,तो शहरों की सडकें खाली हो जाया करती थी। इसका प्रसारण 25 जनवरी 1987 से 31 जुलाई 1988 तक हुआ था और यह प्रत्येक रविवार को प्रातः 9:30 बजे 35 मिनट की कड़ी के रूप में प्रसारित होता था । इसकी दर्शक संख्या 10 करोड़ तक थी और वर्ष 2003 तक ये भारत और दुनिया में सर्वाधिक देखा जाने वाला सीरियल था । बाद में बी आर चोपड़ा के सीरियल महाभारत में इस कीर्तिमान को तोड़ा थ।
लोगों में रामायण के प्रति इतनी श्रद्धा थी कि वो घर में भी हाथ जोड़कर सीरियल देखा करते थे। उस वक्त आज की तरह एक घर के हर कमरे में टीवी नहीं हुआ करते थे, मौहल्लों में किसी के घर टीवी हुआ करता था और वह भी अधिकांश ब्लैक एंड वाइट। जिस घर में भी टीवी हुआ करता था पूरे मोहल्ले के लोग वहां एकत्र होकर पूरे भकि्तभाव से रामायण देखते थे। रामायण के राम अरुण गोविल,सीता, दीपिका,हनुमान दारासिंह सहित इसके अन्य सितारों को तब लोग भगवान की तरह ही मानने लगे थे। गांव में तो लोग टीवी के सामने उनकी आरती करने लगते थे।
जिस समय ये सीरियल आया करता था ,देश में ट्रेने,बसें और नगरीय वाहन रोक दिए जाते थे । ताकि जहां भी टीवी उपलब्ध हो, लोग इस सीरियल को देख सकें। रामायण के प्रसारण के दौरान देश में सड़कों एवं बाजारों पर सन्नाटा छा जाता था । विडंबना देखिए उस वक्त धार्मिक भावनाओं के कारण यह सन्नाटा पसरता था और अब कोराना वायरस के कारण देश और दुनिया सूनी पड़ी है। ऐसे में रामायण के पुनः प्रसारण के सरकार के फैसले से लोगों को विशेषकर युवा पीढ़ी को भारत की संस्कृति और पृष्ठों की अहमियत का पता चलेगा
वैसे सरकार चाहे तो इस वक्त,महाभारत, चाणक्य भारत एक खोज,तमस,हम लोग, बुनियाद और इन जैसे कई चर्चित सीरियल को या तो दूरदर्शन के चैनलों पर या फिर मनोरंजन चैनलों पर प्रसारित करा सकती है,जो घर तोड़ू और संस्कृति के विनाश करने वाले सीरियलों का ही प्रसारण करते रहते हैं। लेकिन अब वह भी इसलिए नहीं कर पाएंगे,क्योंकि कोरोना के कारण शूटिंग बंद होने से नए एपिसोड बनना बंद हो गए हैं।
बुरे वक्त में भी ये अच्छी बात हो सकती है कि इन सीरियलों से देश की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास,विरासत, संघर्ष को एट बार हम वापस और युवा पहली बार देख लें।